विष्णु भगवान की आरती | Vishnu Bhagwan ki Aarti

भगवान विष्णु, जिन्हें जगदीश्वर और श्रीहरि के नाम से भी जाना जाता है, ये सृष्टि के पालनहार और त्रिदेवों में से एक हैं। विष्णु भगवान की आरतीॐ जय जगदीश हरे” हिंदू धर्म के भक्तों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। यह आरती उनके प्रति श्रद्धा और भक्तिभाव को व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। श्री विष्णु जी की पूजा और आरती करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है। आरतियों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय आरती “ओम जय जगदीश हरे” यह पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी द्वारा सन् १८७० में लिखी गई थी। यह आरती मूलतः भगवान विष्णु को समर्पित है फिर भी इस आरती को किसी भी पूजा, उत्सव पर गाया और सुनाया जाता हैं। कुछ भक्तों का मानना है कि इस आरती का मनन करने से सभी देवी-देवताओं की आरती करने का पुण्य प्राप्त होता है।

भगवान विष्णु का संबंध धर्म, सत्य और न्याय से है। वे अपने दस अवतारों (दशावतार) के माध्यम से धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करते हैं। उनकी पूजा व आरती करने से न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है, बल्कि यह मन और आत्मा को शुद्ध करने की भी एक साधन है। यदि आप भगवान विष्णु की आरती के महत्त्व और विधि के बारे में जानना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है।

विष्णु जी की आरती

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।

॥ इति श्री विष्णु आरती ॥

 

श्री विष्णु जी की महिमा और महत्व:

भगवान विष्णु की महिमा अनंत है। वे संसार के पालनकर्ता हैं और अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए हर युग में अवतार लेते हैं।

  • विष्णु जी की पूजा से मानसिक शांति और आत्मिक संतुष्टि प्राप्त होती है।
  • वे अपने भक्तों को भय और संकट से बचाते हैं।
  • उनकी आराधना से वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
  • ॐ जय जगदीश हरे” आरती करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।

विष्णु भगवान की आरती करने का शुभ समय और दिन:

  • शुभ दिन: भगवान विष्णु की पूजा और आरती का सबसे शुभ दिन गुरुवार माना जाता है। इसके अलावा एकादशी और वैकुंठ एकादशी को भी उनकी पूजा का विशेष महत्व है।
  • शुभ समय: प्रातःकाल (सुबह 5-7 बजे) और संध्या समय (शाम 6-8 बजे) उनकी आरती करने का उत्तम समय होता है।
  • क्या करें और क्या न करें: विष्णु जी की पूजा के समय सफेद और पीले वस्त्र पहनें। उनकी पूजा में तुलसी पत्र का उपयोग अवश्य करें। किसी भी स्थिति में पूजा के लिए मांसाहार या तामसिक भोजन ग्रहण न करें।

विष्णु भगवान की आरती करने की सही विधि:

  • विष्णु जी की मूर्ति या चित्र को साफ स्थान पर स्थापित करें।
  • शुद्ध जल से स्नान कराएं और उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं।
  • तुलसी पत्र, फूल, और गंध चढ़ाएं।
  • घी का दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
  • ॐ जय जगदीश हरे” आरती पढ़े और अंत में शंख ध्वनि करें।

विष्णु भगवान की आरती कौन कर सकता है और कौन नहीं कर सकता है:

  • कौन कर सकता है: कोई भी भक्त, चाहे वह महिला हो या पुरुष, विष्णु जी की पूजा और आरती कर सकता है।
  • कौन नहीं कर सकता: अशुद्ध मन और शरीर से पूजा करने से बचना चाहिए। पूजा से पहले स्नान करना और शुद्ध कपड़े पहनना अनिवार्य है।

विष्णु भगवान की आरती करने के लाभ (फायदे):

  • मानसिक शांति और आत्मिक संतोष प्राप्त होता है।
  • पारिवारिक कलह समाप्त होता है और समृद्धि आती है।
  • सभी प्रकार के संकट और भय से मुक्ति मिलती है।
  • आध्यात्मिक उन्नति होती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य और जानकारी:

  • विष्णु जी के दस अवतार (दशावतार) धर्म और सत्य की रक्षा के लिए लिए गए हैं।
  • विष्णु सहस्रनाम का पाठ उनके भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी होता है।
  • तुलसी का पौधा विष्णु जी को अति प्रिय है, इसलिए पूजा में इसका उपयोग अवश्य करें।

निष्कर्ष:

भगवान विष्णु की आरती और पूजा जीवन में सकारात्मकता और शांति लाती है। “ॐ जय जगदीश हरे” आरती गाने से न केवल मन को शांति मिलती है, बल्कि भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। यदि आप विष्णु जी की पूजा की सही विधि अपनाते हैं और उनकी महिमा का गुणगान करते हैं, तो आपका जीवन सुखमय और समृद्ध होता है। अधिक जानकारी के लिए आप श्री विष्णु जी की आरती हिंदी में पोस्ट भी देख सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्न:

  1. भगवान विष्णु की पूजा का शुभ दिन कौन सा है?
    गुरुवार और एकादशी को पूजा करना शुभ होता है।
  2. विष्णु जी की आरती का क्या महत्व है?
    यह आरती सकारात्मक ऊर्जा और भगवान विष्णु की कृपा प्रदान करती है।
  3. विष्णु जी की पूजा में तुलसी का उपयोग क्यों जरूरी है?
    तुलसी विष्णु जी को अति प्रिय है और इसे चढ़ाने से पूजा पूर्ण होती है।
  4. आरती का शुभ समय क्या है?
    प्रातःकाल और संध्या समय आरती के लिए उपयुक्त है।
  5. क्या महिलाएं विष्णु जी की पूजा कर सकती हैं?
    हां, महिलाएं पूरी श्रद्धा से पूजा कर सकती हैं।
  6. विष्णु जी की पूजा में कौन से फूल चढ़ाने चाहिए?
    पीले फूल चढ़ाना शुभ माना जाता है।
  7. क्या बिना शंख के पूजा हो सकती है?
    शंख ध्वनि पूजा को पूर्ण बनाती है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है।
  8. दशावतार क्या है?
    विष्णु जी के दस अवतार धर्म की रक्षा के लिए लिए गए थे।
  9. विष्णु सहस्रनाम का क्या लाभ है?
    इसका पाठ मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।
  10. भगवान विष्णु के प्रिय भोग क्या हैं?
    खीर और पंचामृत भगवान विष्णु को प्रिय हैं।

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