विष्णु चालीसा लिरिक्स | Vishnu Chalisa Lyrics

भगवान विष्णु हिंदू धर्म के त्रिदेवों में से एक हैं, जिन्हें सृष्टि के पालनकर्ता और संरक्षणकर्ता के रूप में पूजा जाता है। उनकी कृपा से जीवन में शांति, समृद्धि, और शुभ फल प्राप्त होते हैं। श्री विष्णु चालीसा, जो भगवान विष्णु की महिमा और शक्ति का वर्णन करता है, भक्तों के लिए अत्यंत मंगलकारी मानी जाती है। इस चालीसा के पाठ से मन की शुद्धि होती है और भक्त को ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम विष्णु चालीसा लिरिक्स को हिंदी में प्रस्तुत करेंगे और उसी के साथ-साथ उनकी महिमा और महत्व, तथा विष्णु चालीसा पाठ करने का शुभ समय और शुभ दिन, श्री विष्णु चालीसा पाठ करने की सही विधि, विष्णु भगवान चालीसा पाठ कौन कर सकता है, और कौन नहीं कर सकता है। नारायण चालीसा पाठ करने से होने वाले लाभों के बारे में भी विस्तार से जानकारी देंगे। और “विष्णु चालीसा लिरिक्स हिंदी में” पाठ करने से सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ, और धार्मिक व आध्यात्मिक क्षेत्र से जुड़ी अन्य उपयोगी जानकारियाँ उपलब्ध हैं। और अंत में श्री विष्णु चालीसा पाठ करने से सम्बंधित १० महत्वपूर्ण अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न भी दिये गए है। यह चालीसा पाठ न केवल भक्तों को सुखद अनुभव देती है, बल्कि यह भक्तों के धन-वैभव की प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण है।

विष्णु चालीसा लिरिक्स हिन्दीं में:

।। दोहा ।।
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

।। विष्णु चालीसा ।।

नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।
तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥

शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्ठन दल गंजन ।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥

पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।
करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।
भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥

आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।
देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥

वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।
मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥

असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।
हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥

देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे ।
गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥

हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥

चाहता आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन ।
जानूं नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।
करहुं आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण ।
सुर मुनि करत सदा सेवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई ॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई ।
पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ ।
निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥

॥ इति श्री विष्णु चालीसा ॥

विष्णु भगवान की महिमा और महत्व:

भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन वेदों और पुराणों में किया गया है। उनकी पूजा से जीवन के सभी दुख और कष्ट दूर होते हैं। विष्णु चालीसा का पाठ करने से भक्तों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, और पारिवारिक सुख प्राप्त होता है। यह चालीसा व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और उसे धर्म, सत्य, और कर्तव्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।

भगवान विष्णु का नाम जपने और चालीसा का पाठ करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और सफलता प्राप्त होती है। विशेष रूप से, यह चालीसा उन लोगों के लिए अत्यधिक फलदायी मानी जाती है जो अपने जीवन में शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।

विष्णु चालीसा करने का शुभ समय और दिन:

भगवान विष्णु की चालीसा का पाठ करने के लिए निम्नलिखित समय और दिन शुभ माने गए हैं:

  • शुभ दिन: भगवान विष्णु की पूजा के लिए एकादशी तिथि, गुरुवार, और वैकुंठ एकादशी विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।
  • शुभ समय: प्रातःकाल और संध्या का समय चालीसा पाठ के लिए आदर्श है। प्रातःकाल में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनकर चालीसा का पाठ करना उत्तम माना जाता है।
  • कब न करें: अमावस्या की रात या अशुद्ध अवस्था में पूजा करने से बचें।

श्री विष्णु चालीसा करने की सही विधि:

भगवान विष्णु की चालीसा पाठ करने की विधि इस प्रकार है:

  1. प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें।
  2. विष्णु जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
  3. पूजा स्थल पर पीले फूल, तुलसी के पत्ते, और पीला वस्त्र अर्पित करें।
  4. भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करें और इसके बाद श्रद्धा और भक्ति से विष्णु चालीसा का पाठ करें।
  5. अंत में विष्णु जी की आरती करें और प्रसाद बांटें। पूजा करते समय मन को शांत और ध्यानमग्न रखें।

श्री विष्णु चालीसा कौन कर सकता है और कौन नहीं कर सकता है:

  • कौन कर सकता है: विष्णु चालीसा का पाठ हर व्यक्ति कर सकता है, चाहे वह किसी भी आयु, जाति, या वर्ग का हो। विशेष रूप से वे लोग जो भगवान विष्णु की कृपा पाना चाहते हैं, उनके लिए यह पाठ अत्यंत लाभकारी है।
  • कौन नहीं कर सकता है: कोई भी व्यक्ति जो अशुद्ध अवस्था में हो, जैसे गंदे वस्त्र पहनना या पूजा स्थल पर अनुचित आचरण करना, उसे चालीसा का पाठ नहीं करना चाहिए।

विष्णु भगवान चालीसा करने के लाभ (फायदे):

भगवान विष्णु की चालीसा का पाठ करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  1. जीवन में शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
  2. मन की शुद्धि होती है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
  3. पारिवारिक कलह और समस्याएं समाप्त होती हैं।
  4. भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
  5. स्वास्थ्य, धन, और सुख-समृद्धि का वरदान मिलता है।
  6. भगवान विष्णु की कृपा से सभी प्रकार के कष्ट और बाधाएं समाप्त होती हैं।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य और जानकारी:

  • भगवान विष्णु के 10 अवतार (दशावतार) में से हर अवतार मानवता की रक्षा के लिए लिया गया है।
  • विष्णु जी की पूजा में तुलसी का विशेष महत्व है। उनके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
  • विष्णु जी का वाहन गरुड़ है, और उन्हें वैकुंठ लोक का स्वामी माना जाता है।
  • विष्णु चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

निष्कर्ष:

श्री विष्णु चालीसा का पाठ भक्तों के लिए एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव है। यह न केवल भगवान विष्णु की महिमा का गुणगान करता है, बल्कि हमारे जीवन को शांति, समृद्धि, और सकारात्मकता से भर देता है। नियमित पाठ करने से भक्त भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को कष्टों से मुक्त कर सकते हैं। इस चालीसा का पाठ श्रद्धा और भक्ति से करने पर भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।

अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्न:

  1. श्री विष्णु चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
    प्रातःकाल और संध्या के समय पाठ करना शुभ माना जाता है।
  2. क्या विष्णु चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है?
    हां, लेकिन एकादशी और गुरुवार को पाठ करना अधिक फलदायी होता है।
  3. विष्णु चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    आप इसे 1, 3, 5 या 7 बार अपनी श्रद्धा के अनुसार कर सकते हैं।
  4. क्या विष्णु चालीसा का पाठ करने से धन की प्राप्ति होती है?
    हां, इसका पाठ करने से समृद्धि और धन का वरदान मिलता है।
  5. क्या चालीसा का पाठ खाली मन से करना चाहिए?
    नहीं, पाठ करते समय मन को शांत और भगवान विष्णु में एकाग्र रखना चाहिए।
  6. विष्णु चालीसा का पाठ कौन नहीं कर सकता?
    अशुद्ध अवस्था में या अनुचित आचरण वाले लोग पाठ नहीं कर सकते।
  7. विष्णु चालीसा का पाठ किसे करना चाहिए?
    हर वह व्यक्ति जो भगवान विष्णु की कृपा पाना चाहता है।
  8. क्या विष्णु चालीसा का पाठ से सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं?
    हां, भगवान विष्णु की कृपा से सभी प्रकार की बाधाएं समाप्त हो सकती हैं।
  9. क्या विष्णु चालीसा का पाठ घर में किया जा सकता है?
    हां, इसे घर के पूजा स्थल में किया जा सकता है।
  10. विष्णु चालीसा का पाठ करने से क्या आध्यात्मिक उन्नति होती है?
    हां, इसका पाठ करने से आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

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