ब्रह्मा जी की आरती | Brahma ji ki Aarti​

Brahma ji ki Aarti ​: ब्रह्मा जी की आरती पितु मातु सहायक स्वामी सखा, तुम ही एक नाथ हमारे हो — यह आरती भगवान ब्रह्मा जी के प्रति श्रद्धा और समर्पण के भाव को प्रकट करती है। सृष्टि के रचयिता श्री ब्रह्मा जी की वंदना में यह आरती उनके परम ज्ञान, करुणा और सहायक स्वरूप का वर्णन करती है। ब्रह्मा जी को त्रिदेवों में प्रथम माना गया है, जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड की सृष्टि के कारण हैं। उनकी आरती करने से साधक को ज्ञान, सृजनशीलता और आध्यात्मिक दिशा की प्राप्ति होती है। यह आरती उनकी कृपा पाने और उनके सृजनात्मक गुणों से प्रेरणा लेने हेतु गायी जाती है।

ब्रह्मा जी की आरती

पितु मातु सहायक स्वामी सखा,
तुम ही एक नाथ हमारे हो॥

जिनके कुछ और आधार नहीं,
तिनके तुम ही रखवारे हो॥

सब भाँति सदा सुखदायक हो,
दुःख निर्गुण नाशन हारे हो॥

प्रतिपाल करे सारे जग को,
अतिशय करुणा उर धारे हो॥

भूल गये हैं हम तो तुमको,
तुम तो हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो॥

उपकारन को कछु अंत नहीं,
छिन्न ही छिन्न जो विस्तारे हो॥

महाराज महा महिमा तुम्हारी,
मुझसे विरले बुधवारे हो॥

शुभ शांति निकेतन प्रेमनिधि,
मन मंदिर के उजियारे हो॥

इस जीवन के तुम ही जीवन हो,
इन प्राणन के तुम प्यारे हो॥

तुम सों प्रभु पाय प्रताप हरि,
केहि के अब और सहारे हो॥

॥ इति श्री ब्रह्मा आरती समाप्त॥

ब्रह्मा जी की महिमा और धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व:

ब्रह्मा जी की महिमा:

हिंदू धर्म में श्री ब्रह्मा जी को सृष्टि के रचयिता के रूप में जाना जाता है। उन्हें देवताओं में अद्वितीय स्थान प्राप्त है। ब्रह्मा जी की आरती करना अत्यंत शुभ माना जाता है। श्री ब्रह्मा जी की आरती करने से जीवन में सुख, शांति और सफलता प्राप्त होती है। श्री ब्रह्मा जी हिंदू धर्म में सृष्टि के रचनाकार या रचयिता माने जाते हैं। और त्रिदेवों में उनका स्थान सर्वोपरि है। श्री ब्रह्मा जी की पूजा का विशेष महत्व है और उनकी आरती भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। उनकी आरती करना न केवल शुभ माना जाता है बल्कि यह भक्तों को आध्यात्मिक शांति और ऊर्जा भी प्रदान करती है। उनकी आरती में निहित शब्द और भावनाएं भक्तों को भगवान ब्रह्मा के प्रति समर्पण का अनुभव कराती हैं। इस आरती को सही उच्चारण और विधि से करना अत्यंत आवश्यक है।

ब्रह्मा जी की आरती का धार्मिक महत्व:

ब्रह्मा जी सृष्टि के रचयिता और त्रिदेवों में प्रथम हैं। उनकी आरती करने से ज्ञान, रचनात्मकता और विवेक की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता है कि ब्रह्मा जी की आरती से जीवन में शुभ आरंभ, शिक्षा में सफलता और मानसिक स्पष्टता आती है। यह आरती विद्यार्थियों, कलाकारों और सृजनात्मक कार्यों में लगे लोगों के लिए विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है।

ब्रह्मा जी को सृष्टि के रचयिता के रूप में पूजा जाता है। उनकी आरती करना न केवल श्रद्धा की अभिव्यक्ति है, बल्कि यह ज्ञान, सृजनात्मकता और विवेक की प्राप्ति का मार्ग भी है। धार्मिक दृष्टि से ब्रह्मा जी की आरती करने से व्यक्ति में सकारात्मक विचार, मानसिक शुद्धता और धर्म के प्रति निष्ठा उत्पन्न होती है।

ब्रह्मा जी त्रिदेवों में प्रथम हैं — विष्णु पालन करते हैं, शिव संहार करते हैं, परंतु ब्रह्मा ही सृष्टि की शुरुआत करते हैं। उनकी आरती हमें यह स्मरण कराती है कि हर नया आरंभ, हर विचार और हर रचना ब्रह्मा जी की प्रेरणा से ही संभव होती है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, ब्रह्मा जी की आरती से घर में विवेक, रचनात्मकता और सद्बुद्धि का वास होता है, और यह आरती विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी मानी जाती है जो शिक्षा, लेखन, कला या सृजनात्मक कार्यों से जुड़े होते हैं।

ब्रह्मा जी की आरती का आध्यात्मिक महत्व:

ब्रह्मा जी की आरती आत्मज्ञान का प्रकाश देती है। यह आरती ध्यान को केंद्रित करती है और भक्त को यह अनुभव कराती है कि जीवन के हर पहलू में ब्रह्मा जी का संरक्षण और मार्गदर्शन है। यह आत्मा को ब्रह्म तत्व से जोड़ने का माध्यम बनती है।

ब्रह्मा जी की आरती करने की विधि:

हिंदू धर्म में भगवान ब्रह्मा जी की आरती करने का विशेष महत्‍व है। कोई भी पूजा बिना आरती के संपन्‍न नहीं मानी जाती है। इसलिए भगवान ब्रह्मा जी की आरती करने के कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना चाहिए।

1. स्नान व शुद्धता:
प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। मानसिक रूप से शांत और पवित्र रहें।

2. पूजन स्थान की तैयारी:
अगर आप घर पर ही ब्रह्मा जी की मूर्ति या चित्र को स्थापित कर रहे हो तो पहले उस स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए।उसके बाद ही उस स्थान पर ब्रह्मा जी की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें। अगर आप ब्रह्मा जी के मन्दिर में पूजा कर रहे हो तो पहले मन्दिर और ब्रह्मा जी की मूर्ति या चित्र को अच्छी तरह से साफ कर ले।

3. पूजा सामग्री रखें:
धूप, दीप, पुष्प, चंदन, अक्षत (चावल), मिठाई/भोग, जल, आरती की थाली, घंटी, और कपूर पहले से ही तैयार रखें।

4. ब्रह्मा जी का ध्यान करें:
ब्रह्मा जी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर अपने मन को शान्तं करे और अपनी आखें बंद करके ब्रह्मा जी का ध्यान करें — “ॐ ब्रह्मणे नमः” इस मंत्र का जाप करें।

5. पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा करें:
चंदन, पुष्प, अक्षत, धूप और दीप अर्पित करें। चाहें तो जल से चरण पखारने का प्रतीकात्मक भाव भी कर सकते हैं।

6. भोग अर्पण करें:
मिठाई, फल या अपने मनपसंद भोग ब्रह्मा जी को अर्पित करें।

7. आरती करें:
एक थाली में स्वास्तिक का चिह्न बनाएं और पुष्प व अक्षत रखकर एक स्वच्छ दीपक में देशी घी की बाती और कपूर रखकर प्रज्वलित करें। भगवान ब्रह्मा जी के सामने आरती की थाली को धीरे-धीरे इस प्रकार से घुमाते हुए करना चाहिए कि ऊँ जैसी आकृति बने।आरती से पहले प्रार्थना करें कि हे ब्रह्मा जी, आपकी प्रसन्नता के लिए मैंने रत्नमय दीये में कपूर और घी में डुबोई हुई बाती जलाई है।जो मेरे जीवन के सारे अंधकार दूर कर दे. फिर एक ही स्थान पर खड़े होकर भगवान ब्रह्मा जी की आरती “पितु मातु सहायक स्वामी सखा…” गाएं।

भगवान ब्रह्मा जी की आरती उतारते समय चार बार चरणों में, दो बार नाभि पर, एक बार मुखमण्डल पर व सात बार सभी अंगों पर करें. इसके बाद शंख में जल लेकर भगवान ब्रह्मा जी के चारों ओर घुमाकर अपने ऊपर तथा भक्तजनों पर जल डालें. फिर ब्रह्मा जी को प्रणाम करें. मंदिरों में 5, 7, 11, 21 या 31 बातियों से आरती की जाती है जबकि घर में एक बाती की ही आरती करें. आरती के बाद, प्रसाद वितरित करें।

8. घंटी बजाएं व भावपूर्वक आरती पूर्ण करें:
आरती के समय घंटी बजाएं और अंत में दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करें और उनसे क्षमा याचना करे।

9. आरती के बाद जल छिड़कें व प्रसाद वितरित करें:
सभी को आरती के बाद प्रसाद वितरित करे और अपने ऊपर जल छिड़क कर शुद्धता का अनुभव करें।

विधि विशेष सुझाव:
आरती बृहस्पतिवार या किसी शुभ तिथि को करें।
चाहें तो ब्रह्मा जी के बीज मंत्र “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ब्रह्मणे नमः” का जप करें।
पूजा में भाव शुद्ध होना सबसे आवश्यक है।

पंचोपचार और षोडशोपचार पूजा क्या हैं?

अब हम जानते हैं की पंचोपचार और षोडशोपचार पूजा क्या हैं। यहाँ हम इसका पूरा विवरण हिन्दी में और सरल शब्दों में दे रहे हैं। ताकि आप इसे अपनी व्यक्तिगत पूजन में उपयोग कर सकें।

पंचोपचार पूजा क्या है? (5 प्रकार की पूजा विधि):
पंचोपचार पूजा में ईश्वर को पाँच मुख्य वस्तुएँ अर्पित की जाती हैं। यह पूजा सरल और आम भक्तों के लिए उपयुक्त होती है। इसके पाँच अंग हैं:

5 उपचार इस प्रकार हैं:
1-गंध (चंदन या इत्र)– ब्रह्मा जी को चंदन या इत्र अर्पित करें, जिससे वे प्रसन्न होते हैं।
2-पुष्प (फूल)– सुगंधित फूल अर्पित करें। यह भक्ति और सुंदरता का प्रतीक है।
3-धूप– सुगंधित धूप जलाकर उन्हें समर्पित करें। यह वायु तत्व और पवित्रता दर्शाता है।
4-दीप– घी या तेल का दीपक जलाकर अर्पण करें। यह ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक है।
5-नैवेद्य (भोग)– मिठाई, फल या घर में बनी सात्विक वस्तु ब्रह्मा जी को अर्पित करें।

षोडशोपचार पूजा क्या है? (16 प्रकार की पूजा विधि):
षोडशोपचार पूजा अधिक विधिवत और विस्तृत होती है, जिसमें भगवान की 16 उपचारों से पूजा की जाती है। यह शास्त्रों में वर्णित पूर्ण पूजा मानी जाती है।

16 उपचार इस प्रकार हैं:
1-आवाहन – भगवान को आमंत्रित करना।
2-आसन – उन्हें आसन अर्पित करना (संकल्प में करें)।
3-पाद्य – उनके चरण पखारने के लिए जल अर्पित करना।
4-अर्घ्य – पूजा हेतु सम्मानपूर्वक जल अर्पण।
5-आचमन – उन्हें मुख शुद्ध करने हेतु जल देना।
6-स्नान – प्रतीकात्मक स्नान (गंगाजल या जल छिड़कें)।
7-वस्त्र – वस्त्र अर्पण करना (सूती वस्त्र का प्रतीक)।
8-यज्ञोपवीत – जनेऊ या पवित्र सूत्र अर्पण करना।
9-गंध – चंदन या इत्र लगाना।
10-पुष्प – फूल अर्पित करना।
11-धूप – सुगंधित धूप अर्पण।
12-दीप – दीपक अर्पण करना।
13-नैवेद्य – भोग अर्पित करना (मिठाई, फल)।
14-ताम्बूल – पान-सुपारी अर्पित करना।
15-दक्षिणा – श्रद्धा से कोई वस्तु या मुद्रा अर्पण।
16-प्रदक्षिणा व नमस्कार – भगवान की परिक्रमा और प्रणाम।

विशेष सुझाव:
यदि समय कम हो या साधन सीमित हों, तो पंचोपचार पूजा करें।
विशेष पर्व, व्रत, या जन्मोत्सव पर षोडशोपचार पूजा करना शुभ माना जाता है।
पूजा करते समय हर चरण में भाव और श्रद्धा सबसे ज़रूरी है — वही पूजा को सिद्ध बनाता है।

ब्रह्मा जी की आरती करने का शुभ समय और दिन:

ब्रह्मा जी की आरती आप किसी भी समय या मुहूर्त में कर सकते हैं, लेकिन ये समय या मुहूर्त शुभ माने जाते है जैसे कि:

  • सुबह सूर्योदय के समय
  • शाम सूर्यास्त के समय
  • रात्रि में दीपक जलाने के समय
  • ब्रह्मा आरती करने का सबसे अच्छा समय ब्रह्म मुहूर्त है, जो सूर्योदय से लगभग 1.5 घंटे पहले का शुभ समय होता है।

ब्रह्मा जी की आरती आप किसी भी दिन या तिथि में कर सकते हैं, लेकिन ये दिन या तिथि शुभ माने जाते है जैसे कि:

बृहस्पतिवार: बृहस्पतिवार का दिन ब्रह्मा जी को समर्पित है, इसलिए इस दिन आरती करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
चतुर्थी तिथि: किसी भी माह की चतुर्थी तिथि के दिन ब्रह्मा जी की आरती करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
ब्रह्मा जयंती: ब्रह्मा जयंती के दिन ब्रह्मा जी की आरती करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
पूर्णिमा: पूर्णिमा के दिन भी भगवान ब्रह्मा जी की आरती करना अत्यतं शुभ माना जाता है।

ब्रह्मा जी की आरती करने के लाभ:

ब्रह्मा जी की आरती करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते है :

ब्रह्मा जी की कृपा: श्री ब्रह्मा जी की आरती करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है जो हमारे जीवन को सुखः और शांतिमय बनाती है।
मोक्ष की प्राप्ति: श्री ब्रह्मा जी की आरती करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सकारात्मक ऊर्जा: आरती करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मकता का संचार होता है।
जीवन में सफलता और समृद्धि: श्री ब्रह्मा जी की आरती करने से जीवन में सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
संकटों से मुक्ति: श्री ब्रह्मा जी की आरती करने से संकटों से मुक्ति मिलती है।
पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति: श्री ब्रह्मा जी की आरती करने से पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है।
ज्ञान और बुद्धि की वृद्धि: श्री ब्रह्मा जी की आरती करने से ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है।
आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति: भगवान ब्रह्मा जी की आरती करने से आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। आरती के माध्यम से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है और उसके भीतर की ऊर्जा जागृत होती है।
मन की शांति और संतुष्टि: भगवान ब्रह्मा जी की आरती करने से मानसिक शांति (मन को शांति) और संतुष्टि मिलती है। और मानसिक तनाव कम होता है।
आत्मविश्वास और साहस की प्राप्ति: श्री ब्रह्मा जी की आरती करने से आत्मविश्वास और साहस की प्राप्ती होती है।

श्री ब्रह्मा जी की आरती एक महान उपासना है जो हमें ईश्वर की अनुकंपा और आशीर्वाद प्रदान करती है। इसके सही तरीके और विधि से आरती करने पर भगवान ब्रह्मा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

ब्रह्मा जी की आरती से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQ)

1. ब्रह्मा जी कौन हैं और उनकी पूजा क्यों की जाती है?
ब्रह्मा जी हिंदू धर्म में सृष्टि के रचयिता माने जाते हैं। उनकी पूजा करने से हमें उनकी सृजन शक्ति और कृपा का अनुभव होता है, जिससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

2. श्री ब्रह्मा जी की आरती क्या है और इसका महत्व क्या है?
श्री ब्रह्मा जी की आरती एक स्तुति है, जिसमें उनकी महिमा का वर्णन होता है। इसे करने से भक्तों को ब्रह्मा जी की कृपा मिलती है और मानसिक शांति एवं सुख की प्राप्ति होती है।

3. ब्रह्मा जी की आरती करने का सही समय कौन सा है?
ब्रह्मा जी की आरती करने का सबसे शुभ समय प्रातःकाल और सायंकाल है। विशेषकर गुरुवार को आरती करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।

4. क्या ब्रह्मा जी की आरती करने के लिए कोई विशेष विधि है?
हां, आरती करने से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए, फिर पूजा स्थल को स्वच्छ करके धूप, दीप और फूलों से ब्रह्मा जी की पूजा करनी चाहिए।

5. आरती करने से क्या लाभ होता है?
ब्रह्मा जी की आरती करने से मानसिक शांति, आत्मिक संतोष और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। साथ ही, नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।

6. आरती के दौरान कौन-कौन सी सामग्रियों का उपयोग करना चाहिए?
आरती के लिए धूप, दीप, फूल, शुद्ध जल और घंटी का उपयोग किया जाता है। इसके साथ, शंख बजाना भी शुभ माना जाता है।

7. क्या कोई भी व्यक्ति ब्रह्मा जी की आरती कर सकता है?
हां, ब्रह्मा जी की आरती कोई भी व्यक्ति कर सकता है जो उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति रखता है। आरती के लिए किसी विशेष नियम की आवश्यकता नहीं है।

8. ब्रह्मा जी की आरती करते समय कौन से मंत्र या श्लोक पढ़ने चाहिए?
आरती के दौरान “पितु मातु सहायक स्वामी सखा, तुम ही एक नाथ हमारे हो।” जैसे आरती के श्लोकों का जाप किया जा सकता है।

9. ब्रह्मा जी की आरती करने से कौन-कौन से मानसिक लाभ होते हैं?
आरती करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मिक संतोष और तनाव मुक्ति का अनुभव होता है, जिससे मन में स्थिरता आती है।

10. ब्रह्मा जी की आरती करने से क्या आध्यात्मिक लाभ होते हैं?
आरती करने से भक्त का आध्यात्मिक विकास होता है और वह ईश्वर की अनुकंपा का अनुभव करता है। यह उसे आत्मिक उन्नति और संतोष की अनुभूति कराता है।

11. ब्रह्मा जी की आरती के दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
आरती करते समय शुद्धता, एकाग्रता और समर्पण का भाव रखना चाहिए। आरती के दौरान ध्यान रखें कि मन शांत हो और किसी प्रकार की नकारात्मकता न हो।

12. क्या ब्रह्मा जी की आरती करने से जीवन में समृद्धि आती है?
हां, माना जाता है कि ब्रह्मा जी की आरती करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, शांति और संतोष आता है।

13. आरती के बाद क्या करना चाहिए?
आरती समाप्त होने के बाद ब्रह्मा जी के चरणों में प्रणाम करना चाहिए और प्रसाद वितरण करना चाहिए। इसके बाद अपने परिवार में प्रसन्नता का संचार करें।

14. क्या किसी विशेष दिन पर ब्रह्मा जी की आरती अधिक फलदायी होती है?
गुरुवार का दिन ब्रह्मा जी की पूजा के लिए विशेष माना गया है। इस दिन आरती करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।

15. ब्रह्मा जी की आरती करने से नकारात्मकता कैसे दूर होती है?
आरती के दौरान मंत्रों और श्लोकों का जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यह वातावरण को शुद्ध करता है, जिससे नकारात्मकता का नाश होता है।

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इस लेख में निहित समस्त जानकारी/जानकारियां विभिन्न माध्यमों जैसे पंचांग/ज्योतिषियों/प्रवचनों/मान्यताओं/दंतकथाओं और धर्मग्रंथों से संग्रहित की गई हैं।
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